सर आइज़ैक न्यूटन का जीवन परिचय। Biography of Isaac Newton in Hindi

सर आइज़ैक न्यूटन इंग्लैंड के एक महान वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की साथ ही गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक के विद्वान थे। इनका शोध प्रपत्र “प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों “” सन् 1687 में प्रकाशित हुआ, जिसमें सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण एवं गति के नियमों की व्याख्या की गई थी और इस प्रकार चिरसम्मत भौतिकी (क्लासिकल भौतिकी) की नींव रखी। 
    सर आइज़ैक न्यूटन ने दर्शाया कि पृथ्वी पर वस्तुओं की गति और आकाशीय पिंडों की गति का नियंत्रण प्राकृतिक नियमों के समान समुच्चय के द्वारा होता है, इसे दर्शाने के लिए उन्होंने ग्रहीय गति के केपलर के नियमों तथा अपने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत के बीच निरंतरता स्थापित की, इस प्रकार से सूर्य केन्द्रीयता और वैज्ञानिक क्रांति के आधुनिकीकरण के बारे में पिछले संदेह को दूर किया साथ ही यांत्रिकी में, न्यूटन ने संवेग तथा कोणीय संवेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया। प्रकाशिकी में, उन्होंने पहला व्यवहारिक परावर्ती दूरदर्शी बनाया. और इस आधार पर रंग का सिद्धांत विकसित किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को कई रंगों में अपघटित कर देता है जो दृश्य स्पेक्ट्रम बनाते हैं। उन्होंने शीतलन का नियम दिया और ध्वनि की गति का अध्ययन किया। 

सर आइज़ैक न्यूटन का प्रारंभिक जीवन

आइजैक न्यूटन का जन्म पुरानी शैली के हिसाब से 4 जनवरी 1642 को और नई शैली  के हिसाब से 25 दिसम्बर 1642 को  लिनकोलनशायर के काउंटी में एक हेमलेट, वूल्स्थोर्पे-बाय-कोल्स्तेर्वोर्थ में वूलस्थ्रोप (इंग्लैंड) में हुआ था। माना जाता है की आइजैक न्यूटन के जन्म के समय, इंग्लैंड ने ग्रिगोरियन केलेंडर को नहीं अपनाया था इसलिए उनके जन्म की तिथि को क्रिसमस दिवस 25 दिसंबर1642 के रूप में दर्ज किया गया। न्यूटन का जन्म उनके पिता की मृत्यु के तीन माह बाद हुआ था। आइजैक न्यूटन के पिता का नाम भी आइजैक न्यूटन था वे एक समृद्ध किसान थे। जब न्यूटन तीन वर्ष के थे, उनकी मां ने दुबारा शादी कर ली और अपने नए पति रेवरंड बर्नाबुस स्मिथ के साथ रहने चली गई और आइजैक न्यूटन को उसकी नानी मर्गेरी ऐस्क्फ़ की देखभाल में छोड दिया.छोटा आइजैक अपने सौतेले पिता को पसंद नहीं करता था और उसके साथ शादी करने के कारण अपनी मां के साथ दुश्मनी का भाव रखता था। जैसा कि 19 वर्ष तक की आयु में उनके द्वारा किये गए अपराधों की सूची में प्रदर्शित होता है: “मैंने माता और पिता स्मिथ के घर को जलाने की धमकी दी”।  वे पढ़ने के लिए ग्रंथन के किंग स्कूल में प्रवेश लिया और वहाँ एक फार्मासिस्ट के घर में रहने लगे जिसका नाम क्लार्क था। क्लार्क एक फार्मासिस्ट था इसलिए उसके पास रासायनिक और प्रयोगिक किताबें बहुत ज्यादा थी और न्यूटन उन्हीं की सारी किताबों को पढ़ा करते थे और उनके प्रयोगों को भी करते थे। क्लार्क की एक बेटी थी, जिसका मनोरंजन करने के लिए न्यूटन ने काफी उपकरण यंत्र बनाए हुए थे जैसे कि फ्लोटिंग लालटेन, लाइव माउस और सूर्य डायल्स से चलने वाली पवन चक्की आदि।
जब ये 17 साल के हुए तो The King’s School, Grantham में इन्हें पढ़ने के लिए प्रवेश दिलाया। लेकिन इनका मन वहां पढाई में नहीं लगता था, क्यूंकि वहां गणित नहीं पढ़ाया जाता था। न्यूटन का मन शुरुआत से ही गणित विषय में बहुत लगता था। वे बचपन से ही आकाशीय पिंडों और ग्रहों की ओर आकर्षित रहते थे, और सूरज की किरणों को देखकर उन्हें आश्चर्य होता था। अक्टूबर 1659 को न्यूटन को स्कूल से निकाल दिया गया। इधर इनकी माँ के दूसरे पति का भी देहांत हो चुका था। इसी कारण माँ ने इन्हें खेती बाड़ी सँभालने को कहा। लेकिन न्यूटन का मन खेती बाङी में नहीं लगता था।  हेनरी स्टोक्स जो कि The King’s School के प्रिंसिपल थे उन्होंने न्यूटन की माँ से न्यूटन को फिर से स्कूल में दाखिला दिलाने को कहा जिससे वो आगे की पढाई कर सकें। इस बार न्यूटन ने हताश नहीं किया और बहुत जल्दी वो स्कूल के टॉपर विद्द्यार्थी बने। किंग्स स्कूल, ग्रान्थम(King’s School, Grantham)में उन्होंने बारह वर्ष से सत्रह वर्ष की आयु तक शिक्षा प्राप्त की। बचपन में वह पढ़ाई में कुछ खास अच्छे नहीं थे। एक बार स्कूल में एक लड़के ने न्यूटन को पीटा मगर न्यूटन जब गुस्से में आ गए तो उस लड़के को भाग के अपनी जान बचानी पड़ी। फिर 1659 में जब उन्हें स्कूल से निकाला गया तो वे अपनी माँ के पास आ गए। 
        अपने अंकल रेव विलियम एस्क्फ (Rev William Ayscough)के कहने पर जून 1661 में उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज(Trinity College, Cambridge) में अध्ययन के लिए प्रवेश लिया। पढ़ाई की फीस भरने और खाना खाने के लिए आइज़क न्यूटन कॉलेज में एक कर्मचारी की तरह काम भी करते थे। उस समय कॉलेज की शिक्षाएं अरस्तु पर आधारित थीं। लेकिन न्यूटन अधिक आधुनिक दार्शनिकों(modern philosophers) के विचारों को पढ़ना चाहते थे। 1664 में इनकी प्रतिभा के कारण एक स्कॉलरशिप की व्यवस्था कॉलेज की तरफ से हो गयी, जिसकी मदद से न्यूटन अब आगे की पढ़ाई कर सकते थे। उस समय विज्ञान बहुत आगे नहीं था। फिर यहीं रहकर न्यूटन ने प्रसिद्ध “केप्लर के नियम” पढ़े। 1665 में उन्होंने सामान्यीकृत द्विपद प्रमेय(Binomial Theorem) की खोज की और एक गणितीय सिद्धान्त(Mathematical concept) विकसित करना शुरू किया जो बाद में अत्यल्प कलन(Calculous) के नाम से जाना गया। न्यूटन ने इसकी जानकारी काफी समय बाद दी। इसक कारण उन्होंने ये बताया की उन्हें डर था कि न्यूटन ने कहा कि वे अपने अत्यल्प कलन(Calculous)  को प्रकाशित कर कहीं उपहास के पात्र न बन जाएँ।  न्यूटन ने गैलिलियो ,कैपलर , देकार्त और युक्लिड की रचनाओ को ज्यादा पढ़ा था | ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने युक्लिड को इसलिए पढना शुरू किया था क्योंकि वो नक्षत्र विज्ञानं की एक पुस्तक के कुछ चित्रों को समझने में नाकाम रहे थे | हालांकि उन्होंने इस पुस्तक को एक तुच्छ पुस्तक समझकर अलग रख दिया था किन्तु अपने शिक्षक के समझाने पर इसे पुनः पढ़ा था | अप्रैल 1664 ईस्वी में न्यूटन को छात्रवृति मिली जिसके कारण वो 1668 तक कैम्ब्रिज रुक गये थे | इस अवधि में न्युटन ने B.A.और M.A. की डिग्री भी ली थी | सन 1665 इस्वी में अचानक लन्दन में प्लेग की महामारी फ़ैल गयी थी जिससे शहर मानो पूर्ण रूप से बंद हो गया हटा | शीघ्र की कैम्ब्रिज ने भी उसका अनुसरण करते हुए विश्वविद्यालय को अस्थायी रूप से बंद कर दिया था | कुछ छात्र अपने शिक्षको के साथ निकटवर्ती गाँवों में चले गये | न्यूटन अपनी माँ के फ़ार्म पर लिकंन शायर चले गये | वो फ़ार्म उनके दादा रोबर्ट न्यूटन का था |
        Isaac Newton आइजक न्यूटन आगामी 18 महीनों तक ववही रहे | वो उनके लिए जबरदस्ती की छुट्टी थी लेकिन वो समय न्यूटन के लिए बेहद निर्णायक सिद्ध हुआ | इस  अवकाशकाल में न्यूटन अपने कुछ विचार निश्चित किये | जिनके परिणाम ने विज्ञान में उनके लम्बे और फलदायी भविष्य  की शुरुवात को जन्म दे दिया था |  न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का पता लगाने की घटना, साढ़े तीन सौ साल पुरानी, 1660 के दशक के मध्य की घटना है।  विलियम स्ट्यूक्ली ने लिखा है कि 1726 की बसंत में एक दिन एक सेब के पेड़ की छाया में न्यूटन ने उन्हें इस घटना के बारे में बताया। तब न्यूटन केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ते थे। प्लेग फैलने के  कारण विश्वविद्यालय के बंद होने पर न्यूटन उत्तरी इंग्लैंड में अपने घर चले गए। न्यूटन ने स्ट्यूक्ली को बताया कि जिस तरह वह उस दिन उस सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे, उसी तरह की अवस्था में वो एक पेड़ के नीचे बैठे सोच रहे थे जब एक सेब गिरा।  स्ट्यूक्ली लिखते हैं- ‘न्यूटन बैठे सोच रहे थे। जब एक सेब गिरा, उन्होंने सोचा कि ये सेब सीधा ही क्यों गिरा, अगल-बगल या ऊपर क्यों नहीं गिरा…इसका मतलब धरती उसे खींच रही है, मतलब उसमें  आकर्षण है। वैसे रॉयल सोसायटी की लाइब्रेरी के प्रमुख कीथ मूर का कहना है कि सेब के गिरने की कहानी शायद एक कहानी ही है जिसे न्यूटन ने बाद में आम लोगों को समझाने के लिए बना लिया। कीथ मूर कहते हैं, ‘न्यूटन ने सेब गिरने की कहानी का सहारा आम लोगों को गुरुत्वाकर्षण क्या है ये समझाने के लिए लिया और सेब के सिर पर गिरने की कहानी तो और भी बाद में बनाई गई।   

प्रकाशिकी

न्यूटन ने 1670 से 1672 तक, प्रकाशिकी पर व्याख्यान दिया. इस अवधि के दौरान उन्होंने प्रकाश के अपवर्तन की खोज की, उन्होंने प्रदर्शित किया कि एक प्रिज्म श्वेत प्रकाश को रंगों के एक स्पेक्ट्रम में वियोजित कर देता है और एक लेंस और एक दूसरा प्रिज्म बहुवर्णी स्पेक्ट्रम को संयोजित कर के श्वेत प्रकाश का निर्माण करता है। उन्होंने यह भी दिखाया कि रंगीन प्रकाश को अलग करने और भिन्न वस्तुओं पर चमकाने से रगीन प्रकाश के गुणों में कोई परिवर्तन नहीं आता है। न्यूटन ने वर्णित किया कि चाहे यह परावर्तित हो, या विकिरित हो या संचरित हो, यह समान रंग का बना रहता है।
       किसी भी अपवर्ती दूरदर्शी का लेंस प्रकाश के रंगों में विसरण (रंगीन विपथन) का अनुभव करेगा और इस अवधारणा को सिद्ध करने के लिए उन्होंने अभिदृश्यक के रूप में एक दर्पण का उपयोग करते हुए, एक दूरदर्शी का निर्माण किया, ताकि इस समस्या को हल किया जा सके. दरअसल डिजाइन के निर्माण के अनुसार, पहला ज्ञात क्रियात्मक परावर्ती दूरदर्शी, आज एक न्यूटोनियन दूरबीन के रूप में जाना जाता है, इसमें तकनीक को आकार देना तथा एक उपयुक्त दर्पण पदार्थ की समस्या को हल करना शामिल है। न्यूटन ने अत्यधिक परावर्तक वीक्षक धातु के एक कस्टम संगठन से, अपने दर्पण को आधार दिया, इसके लिए उनके दूरदर्शी हेतु प्रकाशिकी कि गुणवत्ता की जाँच के लिए न्यूटन के छल्लों का प्रयोग किया गया। फरवरी 1669 तक वे रंगीन विपथन के बिना एक उपकरण का उत्पादन करने में सक्षम हो गए। 1671 में रॉयल सोसाइटी ने उन्हें उनके परावर्ती दूरदर्शी को प्रर्दशित करने के लिए कहा। उन लोगों की रूचि ने उन्हें अपनी टिप्पणियों ओन कलर के प्रकाशन हेतु प्रोत्साहित किया, जिसे बाद में उन्होंने अपनी ऑप्टिक्स के रूप में विस्तृत कर दिया। जब रॉबर्ट हुक ने न्युटन के कुछ विचारों की आलोचना की तो न्यूटन इतना नाराज हुए कि वे सार्वजनिक बहस से बाहर हो गए। न्यूटन ने 1704 में आप्टिक्स को प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने अपने प्रकाश के अतिसूक्ष्म कणों के सिद्धांत की विस्तार से व्याख्या की उन्होंने प्रकाश को बहुत ही सूक्ष्म कणों से बना हुआ माना, जबकि साधारण द्रव्य बड़े कणों से बना होता है और उन्होंने कहा कि एक प्रकार के रासायनिक रूपांतरण के माध्यम से “सकल निकाय और प्रकाश एक दूसरे में रूपांतरित नहीं हो सकते हैं, और निकाय, प्रकाश के कणों से अपनी गतिविधि के अधिकांश भाग को प्राप्त नहीं कर सकते, जो उनके संगठन में प्रवेश करती है?”

यांत्रिकी और गुरुत्वाकर्षण

न्यूटन ने 1677 में फिर से यांत्रिकी पर अपना कार्य शुरू किया, जिसका मतलब गुरुत्वाकर्षण और ग्रहीय गति के केपलर के नियमों के सन्दर्भ के साथ, ग्रहों की कक्षा पर गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव था। न्यूटन ने गति के तीन सार्वभौमिक नियम दिए जिनमें 200 से भी अधिक वर्षों तक कोई सुधार नहीं किया गया है। उन्होंने उस प्रभाव के लिए लैटिन शब्द ग्रेविटास (भार) का इस्तेमाल किया जिसे गुरुत्व के नाम से जाना जाता है और सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के नियम को परिभाषित किया।

न्यूटन के गति के नियम

  • न्यूटन के पहला नियम (जिसे जड़त्व के नियम भी कहा जाता है) के अनुसार एक वस्तु जो स्थिरवस्था में है वह स्थिर ही बनी रहेगी और एक वस्तु जो समान गति की अवस्था में है वह समान गति के साथ उसी दिशा में गति करती रहेगी जब तक उस पर कोई बाहरी बल कार्य नहीं करता है।

  • न्यूटन के दूसरे नियम के अनुसार एक वस्तु पर लगाया गया बल समय के साथ इसके संवेग में परिवर्तन की दर के बराबर होता है। 

             न्यूटन का दूसरा नियम गणितीय रूप में

                     

  • न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इसका अर्थ यह है कि जब भी एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर एक बल लगाती है तब दूसरी वस्तु विपरीत दिशा में पहली वस्तु पर उतना ही बल लगती है।

इसका एक सामान्य उदहारण है दो आइस स्केट्स एक दूसरे के विपरीत खिसकते हैं तो विपरीत दिशाओं में खिसकने लगते हैं।
एक अन्य उदाहरण है बंदूक का पीछे की और धक्का महसूस करना, जिसमें बन्दूक के द्वारा गोली को दागने के लिए उस पर लगाया गया बल, एक बराबर और विपरीत बल बंदूक पर लगाता है जिसे गोली चलाने वाला महसूस करता है।
चूंकि प्रश्न में जो वस्तुएं हैं, ऐसा जरुरी नहीं कि उनका द्रव्यमान बराबर हो, इसलिए दोनों वस्तुओं का परिणामी त्वरण अलग हो सकता है (जैसे बन्दूक से गोली दागने के मामले में)। 
अरस्तू के विपरीत, न्यूटन की भौतिकी सार्वत्रिक हो गयी है। उदाहरण के लिए, दूसरा नियम ग्रहों तथा एक गिरते हुए पत्थर पर भी लागू होता है। दूसरे नियम की सदिश प्रकृति बल की दिशा और वस्तु के संवेग में परिवर्तन के प्रकार के बीच एक ज्यामितीय सम्बन्ध स्थापित करती है। न्यूटन से पहले, आम तौर पर यह माना जाता था कि सूर्य के चारों और घूर्णन कर रहे एक ग्रह के लिए एक अग्रगामी बल आवश्यक होता है जिसकी वजह से यह गति करता रहता है। न्यूटन ने दर्शाया कि इस के बजाय सूर्य का अन्दर की और एक आकर्षण बल आवश्यक होता है। (अभिकेन्द्री आकर्षण) यहाँ तक कि प्रिन्सिपिया के प्रकाशन के कई दशकों के बाद भी, यह विचार सार्वत्रिक रूप से स्वीकृत नहीं किया गया। और कई वैज्ञानिकों ने डेसकार्टेस के वोर्टिकेस के सिद्धांत को वरीयता दी.

न्यूटन की प्रसिद्धि और किताबें

  • मेथड ऑफ़ फ़्लक्सियन्स

  • ऑफ़ नेचर ओब्वियस लॉस एंड प्रोसेसेज इन वेजिटेशन

  • डे मोटू कोर्पोरम इन जिरम

  • फिलोसोफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मेथेमेटिका

  • ऑप्टिक्स

  • टकसाल में मास्टर के रूप में रिपोर्टें

  • एरिथमेटिका युनीवरसेलिस

  • दी सिस्टम ऑफ़ दी वर्ल्ड

  • ऑप्टिकल लेक्चर्स

  • दी क्रोनोलोजी ऑफ़ एनशियेंट किंगडेम्स

  • डेनियल पर प्रेक्षण और डी एपोकलिप्स ऑफ़ सेंट जॉन

साइंटिफिक अचीवमेंट्स 

न्यूटन ने बताया कि सूर्य का सफ़ेद प्रकाश असल में सफ़ेद ना होकर कुछ रंगों का मिश्रण है। इसके लिए उन्होंने सूर्य की किरणों को प्रिज्म से गुजारा तो देखा जामुनी, नारंगी, पीला, लाल, नीला, हरा और बैंगनी रंग का spectrum बनता है। इसे ही हम इन्द्रधनुष भी कहते हैं, जो हमें बारिश के दिनों में पानी की बूंदों से सूर्ये के प्रकाश के परावर्तित होने के कारण आकाश में दिखाई देता है। 

न्यूटन की मृत्यु

आइजैक न्यूटन की मृत्यु 31 मार्च 1727 को केंसिंग्टन, मिडलसेक्स, जर्मनी मे हुई थी और इन्हें वेस्टमिंस्टर एब्बे में दफनाया गया था। न्यूटन के कोई बच्चे नही थे जिससे इनकी संपत्ति को इनके रिश्तेदारों ने अपने अधिकार में कर लिया। न्यूटन की मृत्यु के बाद इनके शरीर में काफी ज्यादा मात्रा में पारा (mercury) पाया गया था जो शायद उनके रासायनिक कार्यों को करने की वजह से था। न्यूटन का स्मारक उनके ही कब्र के ऊपर बनाया गया है और इनकी मूर्ति पत्थर की है जिसको माइकल रिज्ब्रेक ने सफ़ेद और धूसर संगमरमर में बनाया है, और इसका  डिजाइन वास्तुकार विलियम कैंट द्वारा बनाया गया है। उनका स्मारक दर्शाता है कि उनकी दाहिने कोहिनी कई महान पुस्तकों पर है और उनका बाया हाथ एक गणितीय सूची की और इशारा कर रहा है।
       जोसेफ लुईस लाग्रेंज जो की एक फ्रेंच गणितज्ञ थे , वे अक्सर कहते थे की न्यूटन एक महान प्रतिभाशाली और भाग्यशाली व्यक्ति थे। अलेक्जेंडर पोप जो की एक अंग्रेजी कवि थे उन्होंने न्यूटन की उपलब्धियों से प्रभावित होकर एक लेख लिखा –
Nature and nature’s laws lay hid in night;
God said “Let Newton be” and all was light.

                   

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