अमित शाह का जीवन परिचय। Amit Shah Biography in Hindi

अमित शाह (जन्म: 22 अक्टूबर 1964) एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा सम्प्रति भारत के गृह मंत्री हैं। अमित शाह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके है साथ ही गुजरात राज्य के गृहमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के महासचिव रह चुके हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में गांधी नगर से लोकसभा के सांसद चुने गए हैं। इससे पहले गांधी नगर से सांसद लाल कृष्ण आडवाणी थे। अमित शाह 2019 लोक सभा चुनाव से पहले वे राज्यसभा के सदस्य थे। मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल में अमित शाह को भारत का गृहमंत्री बनाए गया जिसके बाद उन्होंने बड़े बड़े फैसले लिए जैसे जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने का बड़ा फैसला लिया।

अमित शाह का प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा 

अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ। वे गुजरात के एक रईस परिवार से ताल्लुक रखते है। उनका गाँव पाटण जिले के चँन्दूर मे है। अमित शाह की शुरुवाती पढ़ाई मेहसाणा में हुआ उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए अहमदाबाद आ गए। जहां से उन्होने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की, उसके बाद अपने पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए। राजनीति में आने से पहले वे मनसा में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक बिजनेस संभालते थे। वे बहुत कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। 1982 में उनके अपने कॉलेज के दिनों में अमित शाह की मुलाक़ात नरेंद्र मोदी से हुयी। 1983 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और इस तरह उनका छात्र जीवन में राजनीतिक रुझान बना।

अमित शाह का व्यक्तिगत जीवन 

अमित शाह का विवाह सोनल शाह से हुआ, अमित शाह का एक बेटा भी है, जिनका नाम जय शाह है। अमित शाह के बेटे जय शाह वर्तमान समय में बी सी सी ई के सचिव है। अमित शाह अपनी माँ के बेहद करीब थे जिनकी मृत्यु उनकी गिरफ्तारी से एक महीना पहले 8 जून 2010 को एक बीमारी से हो गयी।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

अमित शाह साल 1983 में आरएसएस से जुड़े। अमित शाह ने अपने कॉलेज के दिनों में ही राजनीति में आने का फैसला ले लिया था और साल 1983 में ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए थे. वहीं आरएसएस से जुड़ने के बाद साल 1986 में ये बीजेपी पार्टी में शामिल हो गए और इन्होंने पार्टी के लिए प्रचार का कार्य करना शुरू कर दिया. इनको साल 1997 में पार्टी की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया था. जिसके बाद इन्होंने गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और इन्हें इस चुनाव में जीत मिली. फिर इन्होंने इसी सीट से लगातार तीन बारी और चुनाव लड़ अपनी जीत दर्ज करवाई. गुजरात के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी पार्टी को जीत मिली, तो पार्टी ने अमित शाह को राज्य के कई मंत्री पदों की जिम्मेदारी दे दी. जिस वक्त अमित शाह को ये मंत्री पद दिए गए थे, तो उस वक्त प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी इस राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. इतना ही नहीं साल 2000 में अमित शाह की नियुक्ती अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष के तौर पर भी की गई थी और वो अपने राज्य के चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे चुके हैं.
एक ही राज्य से ताल्लुक रखने वाले अमित शाह और मोदी जी एक दूसरे को लंबे समय से जानते थे. वहीं साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में शाह ने अपनी पार्टी और मोदी जी के लिए प्रचार का कार्य किया था और इन चुनावों में अपनी पार्टी को शानदार जीत दिलवाई थी. इसके अलावा इन्होंने पार्टी के अन्य नेताओं के लिए भी प्रचार का कार्य किया था. साल 1991 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान इन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के लिए भी चुनाव जीतने की रणनीति तैयार की थी.

साल 2014 में बनें बीजेपी पार्टी के अध्यक्ष

अमित शाह ने 2014 लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को विजय बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी. अमित शाह की कड़ी मेहनत से 2014 लोक सभा चुनाव जित गए। और उसी साल यानी 2014 में इन्हें पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई थी. जिसके बाद इनकी अध्यक्षता में पार्टी ने कई राज्यों में चुनाव जीते और साल 2016 में एक बार फिर इनको दोबारा से इस पद के लिए चुन लिया गया था. परन्तु 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार के नए कैबिनेट मिनिस्टर में अमित शाह को गृह राज्य मंत्री (Minister of Home Affairs) बनाया गया है.

2019 लोक सभा चुनाव में अमित शाह की भूमिका 

मोदी जी के दायां हाथ कहे जाने वाले अमित शाह जी ने सन 2019 के लोकसभा चुनाव में गुजरात के गांधीनगर से चुनाव लड़ा था, जिसमे उन्होंने कांग्रेस पार्टी के डॉ. सी. जे. चावड़ा को पीछे छोड़ते हुए 5 लाख से भी अधिक वोट्स के मार्जिन से जीत हासिल की हैं, जिसके चलते उन्होंने लाल कृष्ण अडवाणी के 4.83 लाख वोट्स का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस चुनाव में मुख्य रूप से मुकाबला बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एवं कांग्रेस के डॉ. सी. जे. चावड़ा के बीच था. जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जी ने जीत हासिल की. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक अमित शाह जी ने 69.7 % वोट्स प्राप्त किये. यानि इसमें अमित शाह जी को लगभग 8,80,000 वोट्स हासिल हुए हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव की तरह ही, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अमित शाह जी ने बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी. बीजेपी का चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह जी की मेहनत के चलते ही नरेन्द्र मोदी जी को 303 सीट्स के साथ, पुरे देश से पूर्ण बहुमत मिला है. मोदी जी और अमित शाह की जोड़ी एक बार फिर हिट हो गई, और भारत देश में मोदी लहर की क्रांति 2019 में फिर से आ गई. 2019 लोक सभा चुनाव जितने की बाद अमित शाह को  गृह मंत्री का पद दिया गया। अमित शाह ने गृह मंत्री का पद ग्रहण करते ही सबसे पहले जम्मू कश्मीर का आतंकवाद खत्म करने की ठान ली जो कि भारत देश के लिए नासूर बन चुका था। 

अमित शाह द्वारा 2019 में लिए गए बड़े महत्पूर्ण फैसले

  • जम्मू काश्मीर में धारा 370 ख़त्म करने का फैसला – जम्मू कश्मीर को दबाए रखने और वहां के बढ़ते हुए आतंक रोकने के लिए उन्होंने जम्मू कश्मीर में 35 ए का उन्मूलन किया और उन्होंने धारा 370 खत्म कर दी जिसके बाद जम्मू-कश्मीर का मुख्य हिस्सा भारत में जोड़ लिया गया। धारा खत्म होने के बाद वहां पर नए नियम बनाए गए और नए नियमों के अनुसार भारत में 1 राज्य और शामिल किया गया जिसके बाद जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को भी अलग कर दिया गया। यह महत्वपूर्ण काम देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अंजाम दिया गया।
  • एनआरसी का मुद्दा  – अमित शाह जी ने देश को एक सबसे बड़ा झटका दिया लेकिन देश में से आतंकवाद और गैर कानूनी अपराध को कम करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया जिसे एनआरसी का नाम दिया गया। जिसके तहत उन्होंने देश से कुछ ऐसे बांग्लादेशियों को बाहर निकालने की बात कही जो देश में अनाधिकृत रूप से कई सालों से रहते आए हैं और रह रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने बड़ा फैसला लेते हुए असम में रहने वाले लोगों की नागरिकता की जांच पड़ताल की ताकि विदेशियों को पहचान कर उन्हें वापस उनके देश पहुंचाया जा सके|
  • नक्सलवादी का मुद्दा – भारत में कुछ राज्य ऐसे थे जहां पर नक्सलवाद को लेकर भारतीय नागरिक बेहद परेशान थे जिनमें से एक छत्तीसगढ़, चंम्बल आदि है। छत्तीसगढ़ में एक बहुत बड़ा धमाका था जो नक्सलवादियों द्वारा अंजाम दिया गया था जिसके बाद अमित शाह ने नक्सलवादियों का उन्मूलन करके भारत से उन्हें खदेड़ कर रख दिया। उन्होंने नक्सलवादियों को यही संदेश दिया कि यदि वे देश में रहना चाहते हैं और सरकार से बचना चाहते हैं तो वे अपने हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण भी कर सकते हैं ताकि हम उन्हें कुछ भी नहीं कहेंगे और उन्हें देश का नागरिक बना कर रखेंगे उन्होंने ऐसी रणनीति बनाई जिस पर अमल करना नक्सलवादियों के लिए महत्वपूर्ण हो गया। 

अमित शाह से जुड़े विवाद

  • फर्जी एनकाउंटर का आरोप – साल 2005 में गुजरात में हुए एक एनकाउंटर में तीन लोगों को आतंकवादी बताते हुए मार दिया गया था. लेकिन कहा जाता है कि इस एनकाउंटर करवाने के पीछे अमित शाह का हाथ था. इस एनकाउंटर की जांच कर रही सीबीआई ने इसे एक नकली एनकाउंटर बताया था. वहीं अमित शाह पर आरोप लगे थे कि उन्होंने पैसे लेकर ये एनकाउंटर करवाया था। 
  • गुजरात में प्रवेश करने पर लगी रोक – अमित शाह को साल 2010 में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था और इन पर हत्या और वसूली के आरोप लगाया गए थे. इतना ही नहीं कोर्ट ने इनको इनके राज्य से बाहर निकाल दिया था और राज्य में प्रवेश करने पर रोक लगा दी थी. हालांकि ये रोक साल 2012 में इनके ऊपर से हटाई गई थी। 
  • गुजरात दंगों के सबूत साफ करने का आरोप – अमित शाह वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगों के विवादों में घिरे रहे, अमित शाह पर आरोप लगाए गए थे कि इन्होंने इस दंगे से जुड़े सबूतों की मिटाने की की कोशिश की थी. शाह पर ये भी आरोप लगा था कि इन्होंने इस केस के गवाहों को उनका बयान बदलने पर मजबूर किया था। 
  • महिला की जासूसी करने का आरोप – साल 2009 में अमित शाह पर एक बार फिर विवादों में आ गए थे, जब इनपर एक महिला की जासूसी करने का आरोप लगा था. कहा जाता है कि अमित शाह ने गैर कानूनी तरीके से और अपनी ताकत के दम पर एक महिला की जासूसी करवा रहे थे. हालांकि अमित शाह ने इन सभी आरोपों को गलत बताया था। 

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