स्वामी विवेकानन्द का जीवन परिचय । Biography Of Swami Vivekanand

Swami Vivekanand

स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका ( शिकागो ) में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का वेदान्त अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की … Read more

रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय

  रामनरेश त्रिपाठी का जीवन परिचय रामनरेश त्रिपाठी जी का जीवन परिचय: पंडित रामनरेश त्रिपाठी (Ramnaresh Tripathi) का जन्म जौनपुर ज़िला के कोइरीपुर नामक गाँव में 4 मार्च, सन् 1881 ई. को एक कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता ‘पंडित रामदत्त त्रिपाठी’ धर्म व सदाचार परायण ब्राह्मण थे। पंडित रामदत्त त्रिपाठी भारतीय सेना में सूबेदार … Read more

सूरदास का जीवन परिचय

सूरदास का जीवन परिचय सूरदास (सन् 1478-1583 ई.)   महाकवि सूरदास का जन्‍म ‘रुनकता’ नामक ग्राम में सन् 1478 ई. में पं. रामदास घर हुआ था । पं. रामदास सारस्‍वत ब्राह्मण थे और माता जी का नाम जमुनादास। कुछ विद्वान् ‘सीही’ नामक स्‍थान को सूरदास का जन्‍मस्‍थल मानते है। सूरदास का जीवन महाकवि सूरदास का जन्‍म ‘रुनकता’ नामक ग्राम में सन् 1478 … Read more

सी वी रमन का जीवन परिचय | Biography of C V Raman

सीवी रमन आधुनिक भारत के एक महान वैज्ञानिक थे, जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपना अति महत्वपूर्ण योगदान दिया और अपनी अनूठी खोजों से भारत को विज्ञान की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान दिलवाई। रमन प्रभाव’ (Raman Effect) सीवी रमन की अद्भुत और महत्वपूर्ण खोजों में से एक थी, जिसके लिए उन्हें साल 1930 … Read more

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जीवन परिचय | Biography of Dr A. P. J. Abdul Kalam in Hindi

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुल अब्दीन अब्दुल कलाम है। इन्हे हिंदुस्तान में  मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जाने माने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। उन्होंने सिखाया की जीवन में चाहें जैसे भी परिस्थिति क्यों न हो पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं। अब्दुल कलाम मसऊदी के विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में ‘मिसाइल मैन’ के रूप में जाना जाता है। इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई।
         डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है।

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का प्राम्भिक जीवन 

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम अंसार परिवार में  हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन और माँ का नाम ।  इनके पिता न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे। परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए। पाँच वर्ष की अवस्था में रामेश्वरम की पंचायत के प्राथमिक विद्यालय में उनका दीक्षा-संस्कार हुआ था। उनके शिक्षक इयादुराई सोलोमन ने उनसे कहा था कि जीवन मे सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा, आस्था, अपेक्षा इन तीन शक्तियो को भलीभाँति समझ लेना और उन पर प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए। पांचवी कक्षा में पढ़ते समय उनके अध्यापक उन्हें पक्षी के उड़ने के तरीके की जानकारी दे रहे थे, लेकिन जब छात्रों को समझ नही आया तो अध्यापक उनको समुद्र तट ले गए जहाँ उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर अच्छे से समझाया, इन्ही पक्षियों को देखकर कलाम ने तय कर लिया कि उनको भविष्य में विमान विज्ञान में ही जाना है। कलाम के गणित के अध्यापक सुबह ट्यूशन लेते थे इसलिए वह सुबह 4 बजे गणित की ट्यूशन पढ़ने जाते थे।
अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था। कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। स्नातक होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आये जहाँ उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का वैज्ञानिक जीवन

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम 1972 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। अब्दुल कलाम को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गये। अब्दुल कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान “गाइडेड मिसाइल” के विकास पर केन्द्रित किया। अग्नि मिसाइल और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम 2002 में राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन॰डी॰ए॰ घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ। अब्दुल कलाम व्यक्तिगत ज़िन्दगी में बेहद अनुशासनप्रिय थे। यह शाकाहारी थे। इन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ़ फायर भारतीय युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करने वाले अंदाज में लिखी है। इनकी दूसरी पुस्तक ‘गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पज ऑफ़ लाइफ’ आत्मिक विचारों को उद्घाटित करती है इन्होंने तमिल भाषा में कविताऐं भी लिखी हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि दक्षिणी कोरिया में इनकी पुस्तकों की काफ़ी माँग है और वहाँ इन्हें बहुत अधिक पसंद किया जाता है। अब्दुल कलाम राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जा सकता है। इन्होंने अपनी पुस्तक इण्डिया 2020 में अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया है। यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनते देखना चाहते थे और इसके लिए इनके पास एक कार्य योजना भी थी। परमाणु हथियारों के क्षेत्र में यह भारत को सुपर पॉवर बनाने की बात सोचते रहे थे। वह विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी विकास चाहते थे। कलाम का कहना था कि ‘सॉफ़्टवेयर’ का क्षेत्र सभी वर्जनाओं से मुक्त होना चाहिए ताकि अधिकाधिक लोग इसकी उपयोगिता से लाभांवित हो सकें।

अब्दुल कलाम के राष्ट्रपति दायित्व से मुक्ति के बाद

राष्ट्पति पद और कार्यालय छोड़ने के बाद, अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान इंदौर व भारतीय विज्ञान संस्थान,बैंगलोर के मानद फैलो, व एक विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।[12]भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम के कुलाधिपति, अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और भारत भर में कई अन्य शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों में सहायक बन गए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी, और अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पढ़ाया।

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का निधन

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 की शाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) हुआ और ये बेहोश हो कर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में इन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद इनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई। अस्पताल के सीईओ जॉन साइलो ने बताया कि जब अब्दुल कलाम को अस्पताल लाया गया तब उनकी नब्ज और ब्लड प्रेशर साथ छोड़ चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घण्टे पहले ही उन्होंने ट्वीट करके बताया था कि वह शिलोंग आईआईएम में लेक्चर के लिए जा रहे हैं। अब्दुल कलाम अक्टूबर 2015 में 84 साल के होने वाले थे। मेघालय के राज्यपाल वी॰ षडमुखनाथन; अब्दुल कलाम के हॉस्पिटल में प्रवेश की खबर सुनते ही सीधे अस्पताल में पहुँच गए। बाद में षडमुखनाथन ने बताया कि अब्दुल  कलाम को बचाने की चिकित्सा दल की कोशिशों के बाद भी शाम 7:45 पर उनका निधन हो गया।

एपीजे अब्दुल कलाम का अंतिम संस्कार

 
मृत्यु के तुरंत बाद अब्दुल कलाम के शरीर को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से शिलांग से गुवाहाटी लाया गया। जहाँ से अगले दिन 28 जुलाई को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थि‍व शरीर मंगलवार दोपहर वायुसेना के विमान सी-130जे हरक्यूलिस से दिल्ली लाया गया। लगभग 12:15 पर विमान पालम हवाईअड्डे पर उतरा। सुरक्षा बलों ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ अब्दुल कलाम के पार्थिव शरीर को विमान से उतारा। वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने इसकी अगवानी की और अब्दुल कलाम के पार्थिव शरीर पर पुष्पहार अर्पित किये। 29 जुलाई की सुबह वायुसेना के विमान सी-130जे से भारतीय ध्वज में लिपटे कलाम के शरीर को पालम एयर बेस पर ले जाया गया जहां से इसे मदुरै भेजा गया, विमान दोपहर तक मदुरै हवाई अड्डे पर पहुंचा। उनके शरीर को तीनों सेनाओं के प्रमुखों और राष्ट्रीय व राज्य के गणमान्य व्यक्तियों, कैबिनेट मंत्री मनोहर पर्रीकर, वेंकैया नायडू, पॉन राधाकृष्णन; और तमिलनाडु और मेघालय के राज्यपाल के॰ रोसैया और वी॰ षडमुखनाथन ने हवाई अड्डे पर प्राप्त किया। एक संक्षिप्त समारोह के बाद कलाम के शरीर को एक वायु सेना के हेलिकॉप्टर में मंडपम भेजा गया। मंडपम से कलाम के शरीर को उनके गृह नगर रामेश्वरम एक आर्मी ट्रक में भेजा गया। अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए उनके शरीर को स्थानीय बस स्टेशन के सामने एक खुले क्षेत्र में प्रदर्शित किया गया ताकि जनता उन्हें आखिरी श्रद्धांजलि दे सके। 30 जुलाई 2015 को पूर्व राष्ट्रपति को पूरे सम्मान के साथ रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में दफ़ना दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी, तमिलनाडु के राज्यपाल और कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सहित 3,50,000 से अधिक लोगों ने अंतिम संस्कार में भाग लिया।

पुरस्कार एवं सम्मान

अब्दुल कलाम के 79 वें जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया गया था।[54] इसके आलावा उन्हें लगभग चालीस विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की गयी थीं, भारत सरकार द्वारा उन्हें 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण का सम्मान प्रदान किया गया जो उनके द्वारा इसरो और डी आर डी ओ में कार्यों के दौरान वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिये तथा भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य हेतु प्रदान किया गया था। 1997 में कलाम साहब को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया जो उनके वैज्ञानिक अनुसंधानों और भारत में तकनीकी के विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु दिया गया था। वर्ष 2005 में स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने कलाम के स्विट्ज़रलैंड आगमन के उपलक्ष्य में 26 मई को विज्ञान दिवस घोषित किया। नेशनल स्पेस सोशायटी ने वर्ष 2013 में उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान सम्बंधित परियोजनाओं के कुशल संचलन और प्रबंधन के लिये वॉन ब्राउन अवार्ड से पुरस्कृत किया।
           सम्मान का वर्ष             सम्मान/पुरस्कार का नाम                             प्रदाता संस्था                                                    2014                        डॉक्टर ऑफ़ साइन्स                            एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम

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जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय । Biography of Jaishankar Prasad in Hindi

जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 को उत्तरप्रदेश वाराणसी के काशी में हुआ था। जयशंकर प्रसाद हिन्दी कवि, नाटककार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में … Read more

सर आइज़ैक न्यूटन का जीवन परिचय। Biography of Isaac Newton in Hindi

सर आइज़ैक न्यूटन इंग्लैंड के एक महान वैज्ञानिक थे। जिन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम और गति के सिद्धांत की खोज की साथ ही गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक के विद्वान थे। इनका शोध प्रपत्र “प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों “” सन् 1687 में प्रकाशित हुआ, जिसमें सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण एवं गति के नियमों की व्याख्या की … Read more

लुई ब्रेल का जीवन परिचय | Louis Braille Biography in Hindi

दृष्टीबाधितों के मसीहा कहे जाने वाले और ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल का जन्म फ्रांस के छोटे से गाँव कुप्रे में 4 जनवरी 1809 को एक मध्यम वर्गीय परिवार में  हुआ था। लुई ब्रेल की आँखों की रोशनी महज तीन साल की उम्र में एक हादसे के दौरान नष्ट हो गई। इस हादसे से … Read more

डॉ. भीम राव अंबेडकर का जीवन परिचय | Biography of Dr Bhimrao Ambedkar (Baba Saheb) in Hindi

भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 में मध्य प्रदेश, के एक गांव में हुआ था। डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर एक लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान … Read more

पी वी सिंधु का जीवन परिचय। P V Sindhu Biography in Hindi

पी वी सिंधु का पूरा नाम पुसर्ला वेंकट सिंधु है। पी वी सिंधु का जन्म: 5 जुलाई 1995 हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, भारत में हुआ था। पी वी सिंधु एक विश्व अस्तरीय भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं तथा भारत की ओर से ओलम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं। इससे पहले वे भारत की नैशनल चैम्पियन भी रह चुकी हैं। पी वी सिंधु ने नवंबर 2016 में चीन ऑपन का खिताब अपने नाम किया है। ओलिंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधु ने BWF वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में शानदार जीत दर्ज कर पहली बार इस खिताब को अपने नाम किया है। वह वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय शटलर हैं। फाइनल मुकाबले में उन्होंने जापान की नोज़ोमी ओकुहारा को 21-7 से मात दी। 24 अगस्त 2019 को हुए सेमीफाइनल मैच में उन्होंने चीन की चेन युफ़ेई को 21-7, 21-14 से हराया। पी वी सिंधु ने सीधे सेटों में 39 मिनट के अंदर ही विपक्षी चीनी चुनौती को समाप्त कर दिया।

पी वी सिंधु का प्रारंभिक जीवन

पी वी सिन्धु का जन्म 5 जुलाई 1995 को  एक तेलगु परिवार में हुआ है। उनके पिता का नाम पी.वी. रमण और माता का नाम पी. विजया है। पी वी सिन्धु के माता पिता दोनों ही वॉलीबॉल खिलाडी है। पी वी सिन्धु के पिता  पी.वी. रमण को सन 2000 में अपने खेल के लिये अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। जब सिन्धु के माता-पिता प्रोफेशनल वॉलीबॉल खेल रहे थे तभी सिन्धु ने बैडमिंटन खेलने का निर्णय लिया और अपनी सफलता की प्रेरणा सिन्धु ने 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन में पुल्लेला गोपीचंद से ली।
        असल में पी वी सिन्धु ने 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। पी वी सिन्धु ने पहले महबूब अली के प्रशिक्षण में इस खेल की मुलभुत जानकारियाँ हासिल की और सिकंदराबाद के भारतीय रेलवे के इंस्टिट्यूट में ही उन्होंने अपने प्रशिक्षण की शुरुवात की। इसके तुरंत बाद पी वी सिन्धु पुल्लेला गोपीचंद बैडमिंटन अकैडमी में शामिल हो गई। सिन्धु जब अपने करियर को बना रही थी तभी द हिन्दू के एक लेखक ने लिखा था की : पी वी सिन्धु के घर से उनके प्रशिक्षण लेने की जगह तक़रीबन 56 किलोमीटर दूर थी, लेकिन यह उनकी अपार इच्छा और जीतने की चाह ही थी जिसके लिये उन्होंने कठिन परिश्रम किया था। अपने कठिन परिश्रम की बदौलत ही आज वह एक सफल बैडमिंटन खिलाडी बन पाई। पी वी सिन्धु की मां भी एक वालीबॉल खि‍लाड़ी हैं और उनकी इच्छा थी कि उनकी बेटी भी इस खेल को अपनाये और उनके सपनों को पूरा करे। लेकिन पी वी सिन्धु जब 6 वर्ष की थी, उस समय एक बड़ी घटना घटी। उस वर्ष भारत के शीर्ष बैडमंटन ख‍िलाडी पुलेला गोपीचंद ने ऑन इंग्लैण्ड ओपन बैडमिंटन चैंपियनश‍िप जीती। इससे सिंधु इतनी उत्साहित हुई कि उसने भी बैडमिंटन को अपने कैरियर बनाने का निश्चय कर लिया और बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। तब उसके गुरू बने महबूब अली। वे सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग थे और बैडमिंटन का प्रश‍िक्षण दिया करते थे। महबूब अली ने पी वी सिन्धु की प्रतिभा देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सिंधु के मां-बाप से कहा था कि यह लड़की एक दिन सारे विश्व में आपका नाम रौशन करेगी। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा (राष्ट्रीय चैंपियन का खि‍ताब) की चमक बिखेरने के बाद 5 फ़ुट 10 इंच (1.78 मी) हाइट वाली सिंधु ने वर्ष 2009 में सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने दमखम का परिचय दिया। पी वी सिन्धु ने 2009 में कोलंबों में आयोजित सब जूनियर एश‍ियाई बैडमिंटन चैंपियनश‍िप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद सन 2010 में इन्होंने ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में भी रजत पदक जीता। इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप और थॉमस और यूबर कप में भी भारत की ओर से खेलीं और साहसिक प्रदर्शन किया।

2016 रियो ओलम्पिक

पी वी सिंधु ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित किये गए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला बनीं। सेमी फाइनल मुकाबले में पी वी सिंधु ने जापान की नोज़ोमी ओकुहारा को सीधे सेटों में 21-19 और 21-10 से हराया। फाइनल में उनका मुकाबला विश्व की प्रथम वरीयता प्राप्त खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मैरिन से हुआ। पहली गेम 21-19 से सिंधु ने जीता लेकिन दूसरी गेम में मैरिन 21-12 से विजयी रही, जिसके कारण मैच तीसरी गेम तक चला। तीसरी गेम में उन्होंन 21-15 के स्कोर से मुकाबला किया किंतु अंत में उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

पी वी सिंधु की कुछ खास बातें

  • पुसरला वेंकटा सिंधु (पी सिंधु) का जन्म 5 जुलाई 1995 को हुआ। उनकी शिक्षा गुंटुर में हुई है।
  • पी सिंधु हैदराबाद में गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी में ट्रेनिंग लेती हैं और उन्हें ‘ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट’ नाम की  एक नॉन-प्रोफिट संस्था सपोर्ट करती है।
  • 10 अगस्त 2013 में सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में मेडल जीता था।
  • 2015 में सिंधु को भारत के चौथे उच्चतम नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
  • 2012 में पी सिंधु ने बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की टॉप 20 रैंकिंग में जगह बनाई।
  • पी सिंधु के पिता रामना स्वयं अर्जुन अवार्ड विजेता हैं। रामना भारतीय वॉलीबॉल का हिस्सा रह चुके हैं।
  • सिंधु ने अपने पिता के खेल वॉलीबॉल के बजाय बैडमिंटन इसलिए चुना क्योंकि वे पुलेला गोपीचंद को अपना आदर्श मानती हैं। सौभाग्य से वही उनके कोच भी हैं।
  • पी सिंधु ने आठ वर्ष की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था।
  • पुलेला गोपीचंद ने पी सिंधु की तारीफ करते हुए कहा कि उनके खेल की खास बात उनका एटीट्यूड और कभी न खत्म होने वाला जज्बा है।
  • 2014 में सिंधु ने एफआईसीसीआई ब्रेकथ्रू स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ दि इयर 2014 और एनडीटीवी इंडियन ऑफ दि इयर 2014 का अवार्ड जीता।
  • सिंधु महबूब अली के मार्गदर्शन में सिकंदराबाद में भारतीय रेलवे संस्थान में खेल की मूल बातें सीखा है। बाद में वह पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गयी और वर्तमान में वे ही पी वी सिंधु के कोच हैं एवं वे ही भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच है।
  • सिंधु एक बहुत ही कठिन परिश्रमी एथलीट है।वह कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम का पालन करती हैं, वह हर सुबह 4.15 बजे बैडमिंटन का अभ्यास शुरू कर देती हैं।
  • वर्ष 2000 में उनके  पिता पी वी रमण को  राष्ट्रीय वॉलीबॉल के प्रति उनके योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन 2012 ली निंग चीन मास्टर्स सुपर सीरीज प्रतियोगिता में आया जब वह चीन के 2012 लंदन ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता ली Xuerui पराजित को किया।
  • उन्हें 30 मार्च 2015 को वह भारत के 4 सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
  • स्टार खिलाड़ी 2010 में ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में महिला एकल में रजत जीता।
  • 7 जुलाई 2012, वह एशिया यूथ अंडर -19 चैम्पियनशिप जीत ली।
  • 2016 गुवाहाटी दक्षिण एशियाई खेलों (महिला टीम) में एक स्वर्ण पदक
  • 2013 और 2014 में लगातार विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया।

पी वी सिंधु की उपलब्धियां

व्यक्तिगत उपलब्धियां
 
क्र. सं.        साल         मुकाबला             फाइनल में विरोधी                स्कोर
1 2011 इंडोनेशिया इंटरनेशनल इंडोनेशिया फ्रांसिस्का रत्नासरी  21-16, 21-11[16]
2 2013 मलेशिया मास्टर्स             सिंगापुर गू जुआन                  21–17, 17–21, 21–19
3 2013 मकाउ ओपन                 कनाडा मिशेल ली                  21–15, 21–12
4 2014 मकाउ ओपन                 दक्षिण कोरिया किम ह्यो-मिन       21–12, 21–17
5 2015 मकाउ ओपन                 जापान मिनात्सु मितानी          21–9, 21-23, 21-14
6 2016 मलेशिया मास्टर्स         स्कॉटलैण्ड किर्स्टी गिलमौर         21-15, 21-9
व्यक्तिगत उपविजेता
क्र. सं.        साल         मुकाबला             फाइनल में विरोधी                स्कोर

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