पी वी सिंधु का जीवन परिचय। P V Sindhu Biography in Hindi

पी वी सिंधु का पूरा नाम पुसर्ला वेंकट सिंधु है। पी वी सिंधु का जन्म: 5 जुलाई 1995 हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, भारत में हुआ था। पी वी सिंधु एक विश्व अस्तरीय भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं तथा भारत की ओर से ओलम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं। इससे पहले वे भारत की नैशनल चैम्पियन भी रह चुकी हैं। पी वी सिंधु ने नवंबर 2016 में चीन ऑपन का खिताब अपने नाम किया है। ओलिंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधु ने BWF वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में शानदार जीत दर्ज कर पहली बार इस खिताब को अपने नाम किया है। वह वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय शटलर हैं। फाइनल मुकाबले में उन्होंने जापान की नोज़ोमी ओकुहारा को 21-7 से मात दी। 24 अगस्त 2019 को हुए सेमीफाइनल मैच में उन्होंने चीन की चेन युफ़ेई को 21-7, 21-14 से हराया। पी वी सिंधु ने सीधे सेटों में 39 मिनट के अंदर ही विपक्षी चीनी चुनौती को समाप्त कर दिया।

पी वी सिंधु का प्रारंभिक जीवन

पी वी सिन्धु का जन्म 5 जुलाई 1995 को  एक तेलगु परिवार में हुआ है। उनके पिता का नाम पी.वी. रमण और माता का नाम पी. विजया है। पी वी सिन्धु के माता पिता दोनों ही वॉलीबॉल खिलाडी है। पी वी सिन्धु के पिता  पी.वी. रमण को सन 2000 में अपने खेल के लिये अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। जब सिन्धु के माता-पिता प्रोफेशनल वॉलीबॉल खेल रहे थे तभी सिन्धु ने बैडमिंटन खेलने का निर्णय लिया और अपनी सफलता की प्रेरणा सिन्धु ने 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन में पुल्लेला गोपीचंद से ली।
        असल में पी वी सिन्धु ने 8 साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। पी वी सिन्धु ने पहले महबूब अली के प्रशिक्षण में इस खेल की मुलभुत जानकारियाँ हासिल की और सिकंदराबाद के भारतीय रेलवे के इंस्टिट्यूट में ही उन्होंने अपने प्रशिक्षण की शुरुवात की। इसके तुरंत बाद पी वी सिन्धु पुल्लेला गोपीचंद बैडमिंटन अकैडमी में शामिल हो गई। सिन्धु जब अपने करियर को बना रही थी तभी द हिन्दू के एक लेखक ने लिखा था की : पी वी सिन्धु के घर से उनके प्रशिक्षण लेने की जगह तक़रीबन 56 किलोमीटर दूर थी, लेकिन यह उनकी अपार इच्छा और जीतने की चाह ही थी जिसके लिये उन्होंने कठिन परिश्रम किया था। अपने कठिन परिश्रम की बदौलत ही आज वह एक सफल बैडमिंटन खिलाडी बन पाई। पी वी सिन्धु की मां भी एक वालीबॉल खि‍लाड़ी हैं और उनकी इच्छा थी कि उनकी बेटी भी इस खेल को अपनाये और उनके सपनों को पूरा करे। लेकिन पी वी सिन्धु जब 6 वर्ष की थी, उस समय एक बड़ी घटना घटी। उस वर्ष भारत के शीर्ष बैडमंटन ख‍िलाडी पुलेला गोपीचंद ने ऑन इंग्लैण्ड ओपन बैडमिंटन चैंपियनश‍िप जीती। इससे सिंधु इतनी उत्साहित हुई कि उसने भी बैडमिंटन को अपने कैरियर बनाने का निश्चय कर लिया और बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। तब उसके गुरू बने महबूब अली। वे सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग थे और बैडमिंटन का प्रश‍िक्षण दिया करते थे। महबूब अली ने पी वी सिन्धु की प्रतिभा देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सिंधु के मां-बाप से कहा था कि यह लड़की एक दिन सारे विश्व में आपका नाम रौशन करेगी। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा (राष्ट्रीय चैंपियन का खि‍ताब) की चमक बिखेरने के बाद 5 फ़ुट 10 इंच (1.78 मी) हाइट वाली सिंधु ने वर्ष 2009 में सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने दमखम का परिचय दिया। पी वी सिन्धु ने 2009 में कोलंबों में आयोजित सब जूनियर एश‍ियाई बैडमिंटन चैंपियनश‍िप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद सन 2010 में इन्होंने ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में भी रजत पदक जीता। इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप और थॉमस और यूबर कप में भी भारत की ओर से खेलीं और साहसिक प्रदर्शन किया।

2016 रियो ओलम्पिक

पी वी सिंधु ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित किये गए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला बनीं। सेमी फाइनल मुकाबले में पी वी सिंधु ने जापान की नोज़ोमी ओकुहारा को सीधे सेटों में 21-19 और 21-10 से हराया। फाइनल में उनका मुकाबला विश्व की प्रथम वरीयता प्राप्त खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मैरिन से हुआ। पहली गेम 21-19 से सिंधु ने जीता लेकिन दूसरी गेम में मैरिन 21-12 से विजयी रही, जिसके कारण मैच तीसरी गेम तक चला। तीसरी गेम में उन्होंन 21-15 के स्कोर से मुकाबला किया किंतु अंत में उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

पी वी सिंधु की कुछ खास बातें

  • पुसरला वेंकटा सिंधु (पी सिंधु) का जन्म 5 जुलाई 1995 को हुआ। उनकी शिक्षा गुंटुर में हुई है।
  • पी सिंधु हैदराबाद में गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी में ट्रेनिंग लेती हैं और उन्हें ‘ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट’ नाम की  एक नॉन-प्रोफिट संस्था सपोर्ट करती है।
  • 10 अगस्त 2013 में सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में मेडल जीता था।
  • 2015 में सिंधु को भारत के चौथे उच्चतम नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
  • 2012 में पी सिंधु ने बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की टॉप 20 रैंकिंग में जगह बनाई।
  • पी सिंधु के पिता रामना स्वयं अर्जुन अवार्ड विजेता हैं। रामना भारतीय वॉलीबॉल का हिस्सा रह चुके हैं।
  • सिंधु ने अपने पिता के खेल वॉलीबॉल के बजाय बैडमिंटन इसलिए चुना क्योंकि वे पुलेला गोपीचंद को अपना आदर्श मानती हैं। सौभाग्य से वही उनके कोच भी हैं।
  • पी सिंधु ने आठ वर्ष की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था।
  • पुलेला गोपीचंद ने पी सिंधु की तारीफ करते हुए कहा कि उनके खेल की खास बात उनका एटीट्यूड और कभी न खत्म होने वाला जज्बा है।
  • 2014 में सिंधु ने एफआईसीसीआई ब्रेकथ्रू स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ दि इयर 2014 और एनडीटीवी इंडियन ऑफ दि इयर 2014 का अवार्ड जीता।
  • सिंधु महबूब अली के मार्गदर्शन में सिकंदराबाद में भारतीय रेलवे संस्थान में खेल की मूल बातें सीखा है। बाद में वह पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गयी और वर्तमान में वे ही पी वी सिंधु के कोच हैं एवं वे ही भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच है।
  • सिंधु एक बहुत ही कठिन परिश्रमी एथलीट है।वह कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम का पालन करती हैं, वह हर सुबह 4.15 बजे बैडमिंटन का अभ्यास शुरू कर देती हैं।
  • वर्ष 2000 में उनके  पिता पी वी रमण को  राष्ट्रीय वॉलीबॉल के प्रति उनके योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन 2012 ली निंग चीन मास्टर्स सुपर सीरीज प्रतियोगिता में आया जब वह चीन के 2012 लंदन ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता ली Xuerui पराजित को किया।
  • उन्हें 30 मार्च 2015 को वह भारत के 4 सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
  • स्टार खिलाड़ी 2010 में ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में महिला एकल में रजत जीता।
  • 7 जुलाई 2012, वह एशिया यूथ अंडर -19 चैम्पियनशिप जीत ली।
  • 2016 गुवाहाटी दक्षिण एशियाई खेलों (महिला टीम) में एक स्वर्ण पदक
  • 2013 और 2014 में लगातार विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया।

पी वी सिंधु की उपलब्धियां

व्यक्तिगत उपलब्धियां
 
क्र. सं.        साल         मुकाबला             फाइनल में विरोधी                स्कोर
1 2011 इंडोनेशिया इंटरनेशनल इंडोनेशिया फ्रांसिस्का रत्नासरी  21-16, 21-11[16]
2 2013 मलेशिया मास्टर्स             सिंगापुर गू जुआन                  21–17, 17–21, 21–19
3 2013 मकाउ ओपन                 कनाडा मिशेल ली                  21–15, 21–12
4 2014 मकाउ ओपन                 दक्षिण कोरिया किम ह्यो-मिन       21–12, 21–17
5 2015 मकाउ ओपन                 जापान मिनात्सु मितानी          21–9, 21-23, 21-14
6 2016 मलेशिया मास्टर्स         स्कॉटलैण्ड किर्स्टी गिलमौर         21-15, 21-9
व्यक्तिगत उपविजेता
क्र. सं.        साल         मुकाबला             फाइनल में विरोधी                स्कोर

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