Mahavir Jayanti 2023 : अहिंसा के महान साधक भगवान महावीर की जयंती

महावीर जयंती हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो महावीर स्वामी के जन्म दिवस पर मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।

महावीर जयंती के दिन लोग जैन मंदिरों में जाकर पूजा और अर्चना करते हैं और उन्हें फल, फूल और चावल की भेंट देते हैं। इस दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं और शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

इस दिन लोग महावीर स्वामी के जीवन के बारे में भी जानकारी हासिल करते हैं जिन्होंने जैन धर्म की शिक्षाओं को व्यापक रूप से फैलाया और जीवन के सभी पहलुओं में समझाया। उनके उपदेशों में अहिंसा, सत्य और अनेकांतवाद जैसी महत्वपूर्ण मूल्य होते हैं।

महावीर की कथा

महावीर भगवान जैन धर्म के मुख्य देवताओं में से एक हैं। महावीर का जन्म लगभग 2,500 वर्ष पूर्व हुआ था। उनके पिता राजा सिद्धार्थ थे और माता त्रिशला थीं।

महावीर की कथा अनेक पुरानों से मिलती है, लेकिन सबसे प्रमुख कथा उनके जन्म से जुड़ी है। मान्यता है कि उनकी मां त्रिशला नौ महीने तक उपवास करती रहीं और उनके जन्म के समय सारे विश्व की स्थिति बहुत शांत थी। उन्हें महावीर नाम दिया गया था, जो “महान वीर” का अर्थ होता है।

महावीर के बचपन की कथा भी बहुत लोकप्रिय है। उन्हें एक बार जंगल में खेलते हुए एक शेर ने पीछे से आकर उन्हें पकड़ लिया था। उन्होंने इस स्थिति के साथ निपटने के लिए अपने शरीर को चुपचाप दिखाई नहीं दिया और शेर उन्हें छोड़ दिया। इस घटना से महावीर ने जीवन की महत्वपूर्ण सीख प्राप्त की कि हमें जीवन की हर स्थिति में संतुलित रहना चाहिए।

महावीर जयंती 2023 तारीख (Mahavir Jayanti 2023 Date)

महावीर जयंती चैत्र माह की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को मनाई जाती है. यह तिथि 3 अप्रैल 2023 को सुबह 6ः24 बजे शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 4 अप्रैल को सुबह 8ः05 बजे होगा. सुर्योदय तिथि को महत्व देते हुए महावीर जयंती 4 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस वर्ष महावीर भगवान का 2621वां जन्मदिवस मनाया जाएगा. 

भगवान महावीर का जन्म

भगवान महावीर का जन्म लगभग ढाई हजार साल पहले बिहार के चंपारण जिले के कुण्डलपुर में हुआ था, ऐसा कुछ इतिहासकार मानते है और कुछ लोग मानते है, कि महावीर का जन्म को लोकतांत्रिक राज्य वाजजी में हुआ था तथा इसकी राजधानी वैशाली थी। भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व हुआ था। 30 वर्ष की आयु में महावीर जी ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये। 12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुआ जिसके पश्चात् उन्होंने समवशरण में ज्ञान प्रसारित किया। 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई।

इस दिन जैन धर्म के लोग शहर में रथयात्रा निकालते है जिसमे महावीर के अहिंसा के संदेश का प्रचार किया जाता है और महावीर की मूर्ति को अभिषेक करते है।

महावीर स्वामी के पंचशील सिद्धांत 

सत्य : सत्य के बारे में भगवान महावीर स्वामी कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है।

अहिंसा : इस लोक में जितने भी त्रस जीव (एक, दो, तीन, चार और पांच इंन्द्रिय वाले जीव) आदि की हिंसा मत कर, उनको उनके पथ पर जाने से न रोको। उनके प्रति अपने मन में दया का भाव रखो। उनकी रक्षा करो। यही अहिंसा का संदेश भगवान महावीर अपने उपदेशों से हमें देते हैं।
 

अपरिग्रह : अपरिग्रह पर भगवान महावीर कहते हैं कि जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है या दूसरों को ऐसा संग्रह करने की सम्मति देता है, उसको दुखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता। यही संदेश अपरिग्रह के माध्यम से भगवान महावीर दुनिया को देना चाहते हैं।

ब्रह्मचर्य : महावीर स्वामी ब्रह्मचर्य के बारे में अपने बहुत ही अमूल्य उपदेश देते हैं कि ब्रह्मचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है। तपस्या में ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ तपस्या है। जो पुरुष, स्त्रियों से संबंध नहीं रखते, वे मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ते हैं।


क्षमा : क्षमा के बारे में भगवान महावीर कहते हैं- ‘मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूं। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूं। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा मांगता हूं। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूं।’

वे यह भी कहते हैं- ‘मैंने अपने मन में जिन-जिन पाप की वृत्तियों का संकल्प किया हो, वचन से जो-जो पापवृत्तियां प्रकट की हों और शरीर से जो-जो पापवृत्तियां की हों, मेरी वे सभी पापवृत्तियां विफल हों। मेरे वे सारे पाप मिथ्या हों।’
 

उन्होंने अपने जीवनकाल में अहिंसा का भरपूर विकास किया। महावीर को ‘वर्द्धमान’, ‘वीर’, ‘अतिवीर’ और ‘सन्मति’ भी कहा जाता है। पूरे विश्व को अध्यात्म का पाठ पढ़ाने वाले भगवान महावीर ने 72 वर्ष की आयु में कार्तिक कृष्ण अमावस्या की रात्रि में पावापुरी नगरी में मोक्ष प्राप्त किया।

भगवान महावीर के निर्वाण के समय उपस्थित 18 गणराजाओं ने रत्नों के प्रकाश से उस रात्रि को आलोकित करके भगवान महावीर का निर्वाणोत्सव मनाया। 

Mahavir Jayanti Wishes | Mahavir Jayanti Quotes | Status and Images

महावीर जिनका नाम है;
पालीताना जिनका धाम है;
अहिंसा जिनका नारा है;
ऐसे त्रिशला नंदन को लाख प्रणाम हमारा है।
महावीर जयंती की हार्दिक बधाई!

अरिहंत की बोली

सिद्धों का सार

आचार्यों का पाठ

साधुओं का साथ

अहिंसा का प्रचार

मुबारक हो महावीर जयंती का त्यौहार!

सत्य, अहिंसा, धर्म हमारा

नवकार हमारी शान है,

महावीर जैसा नायक पाया,

जैन हमारी पहचान है !

महावीर जयंती मुबारक !

सिद्धों का सार, आचार्यों का साथ

साधुओं का साथ, अहिंसा का प्रचार

यही है भगवान महावीर का सार ।

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